गणेश चतुर्थी

 

Sampurna Ganesh Chaturthi!

गणेश चतुर्थी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान गणेश के जन्म का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। यहाँ इस त्योहार के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:

 


गणेश चतुर्थी का अर्थ:

गणेश चतुर्थी का अर्थ है भगवान गणेश का जन्मदिन। यह त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।

 

पूजा विधि:

गणेश चतुर्थी के दिन, लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उन्हें मोदक, लड्डू और अन्य मिठाइयाँ चढ़ाते हैं।

 

गणेश चतुर्थी की कहानी:

गणेश चतुर्थी की कहानी भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी हुई है। माता पार्वती ने भगवान गणेश को अपने शरीर के मिट्टी से बनाया था और उन्हें जीवन दिया था।

 

गणेश चतुर्थी के दिन की गतिविधियाँ:

गणेश चतुर्थी के दिन, लोग भगवान गणेश की पूजा करते हैं, मंदिरों में जाते हैं, और अपने घरों में गणेश प्रतिमा स्थापित करते हैं।

 

गणेश चतुर्थी का महत्व:

गणेश चतुर्थी का महत्व है कि यह त्योहार भगवान गणेश के जीवन और उनके द्वारा दिए गए संदेशों का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। भगवान गणेश ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य के देवता हैं।

यहां देखें फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi)

पौराणिक कथा अनुसार विष्णु शर्मा के 7 पुत्र थे। वे सातों अलग-अलग रहा करते थे। विष्णु शर्मा जब बूढ़ा होने लगा तो उसने सब बहुओं से कहा-तुम सब गणेश चतुर्थी का व्रत किया करो और विष्णु शर्मा स्वयं भी इस व्रत को करता था। क्योंकि अब उसकी उम्र हो रही तो इसलिए वह यह दायित्व अपनी बहुओं को सौंपना चाहता था।

जब विष्णु शर्मा ने अपनी बहुओं से इस व्रत को करने के लिए कहा तो बहुओं ने आज्ञा न मानकर उनका अपमान कर दिया। लेकिन सबसे छोटी बहू ने ससुर की बात मान ली। उसने पूजा के लिए सामान इकट्ठा किया अपने ससुर के साथ व्रत किया। उसने खुद भोजन नहीं किया लेकिन अपने ससुर को भोजन करा दिया।

जब आधी रात बीती तो विष्णु शर्मा की तबीयत खराब हो गई। उसे उल्टी और दस्त लग गए। छोटी बहू ने मल-मूत्र से खराब हुए कपड़ों को साफ करके ससुर के शरीर को पोंछा। पूरी रात बिना कुछ खाए-पिए जागती रही। व्रत के दौरान रात में चंद्रोदय पर स्नान कर फिर से उसने श्री गणेश की पूजा की। विधिवत व्रत का पारण किया। उसने विपरीत स्थिति में भी अपना धैर्य नहीं खोया और पूजा के साथ-साथ ससुर की सेवा दोनों ही श्रद्धा भाव से करती रही।

गणेश जी ने उन दोनों पर अपनी कृपा की। अगले ही दिन से ससुर जी का स्वास्थ्य ठीक होने लगा और छोटी बहू का घर धन-धान्य से भर गया। फिर तो अन्य बहुओं को भी इस प्रसंग से प्रेरणा मिली और उन्होंने अपने ससुर से मांफी मांगी और फाल्गुन कृष्ण संकष्टी चतुर्थी व्रत किया और साथ में साल भर में आने वाली हर चतुर्थी का व्रत करने का शुभ संकल्प लिया। भगवान गणेश की कृपा से सभी का स्वभाव सुधर गया और उनके जीवन में सुख-समृद्धि की कोई कमी नहीं रही।