भारत के इन लोगों ने विफलता से की शुरुआत, पहुंचे सफलता के शिखर पर

 

भारत के इन लोगों ने विफलता से की शुरुआत, पहुंचे सफलता के शिखर पर


 

विफलता इंसान की जिंदगी का अंत नहीं होती बल्कि विफलता ही सफलता के नए दरवाजे खोलती है। विफल होकर इंसान सफलता की तरफ एक कदम और बढ़ाता है। अगर आपको यकीन नहीं तो आप ऐसे 9 भारतीयों के जीवन को देखें जो अपनी जिंदगी के शुरुआती दिनों में विफल हो गए थे।

 


पर जब उन्हें सफलता मिली तो वह एक ऐसे मुकाम पर पहुंचे जहां उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए तो मिसाल कायम की ही साथ ही अपने समकालीन लोगों को भी प्रेरित किय।आपको भी इनके जीवन से जरूर प्रेणा मिलेगी कि निराशा में ही आशा के फूल खिलते हैं भले ही कुछ देर लगे।

 

महात्मा गांधी- गांधी जी की जिंदगी काफी प्रेरणादायक है। गांधी जी पेशे से एक बैरिस्टर थे। इसके बावजूद गांधी जी एक मजबूत वकील नहीं थे वह गवाहों से सही से क्रॉस सवाल नहीं कर पाते थे। लिटिगेशन लेटर की कुछ समय तक ड्राफ्टिंग करने के बाद गांधी जी दक्षिण अफ्रीका चले गए और वहां उन्होंने अपने राजनीतिक कौशल को विकसित किया।

 

यह देखने में जितना आसान लगता है उतना है नहीं अफ्रीका में भी उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा और भारत में उनके द्वारा किए गये सत्याग्रह आंदोलन में भी काफी दुश्वारियां आईं थीं। पर गांधी जी ने कभी हार नहीं मानी। हालांकि उनकी जिंदगी का सबसे बड़ी भारत-पाकिस्तान का विभाजन माना जाता है।

 

अमिताभ बच्चन- दर्शकों का बरसों से मनोरंजन कर रहे अमिताभ बच्चन के करियर में सफलता कई बरसों तक नहीं आई थी। लेकिन अमिताभ ने दृढ़ निश्चय का दामन नहीं छोड़ा। जब उन्होंने अपना प्रॉडक्शन हाउस अमिताभ बच्चन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ABCL) खोला तो इसमें भी उन्हें नाकामयाबी ही हाथ लगी।

 

बॉलीवुड में एक वक्त अमिताभ आसमान से जमीन पर आ गए थे। दिवालिया होने के बाद भी वह लगातार संघर्ष करते रहे। उनके करियर दोबारा सफलता मिली टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम केबीसी से। आज अमिताभ बच्चन बॉलीवुड में बूढ़े होने के बावजूद शिखर पर बने हुए हैं।

 

धीरूभाई अंबानी- रिलायंस का नाम आज हर कोई जानता है भारत सहित दुनियभर में रिलायंस का बिजनेस फैला हुआ है। लेकिन क्या आपको पता है कि रिलायंस के संस्थापक धीरुभाई अंबानी साधारण परिवार से थे। 16 साल की उम्र में वह क्लर्क का काम करने के लिए यमन चले गए थे। यमन से लौटने के बाद उन्होंने दोस्त के साथ मिलकर व्यापार करना शुरू कर दिया।

 

विचारों में तालमेल न होने की वजह से उनके दोस्त चम्पकलाल दमानी और धीरुभाई अंबानी अलग हो गए। इसके बाद भी उन्होंने अपने शुरू किये व्यपार को जारी रखा और कंपनी को स्टॉक मार्केट में एंटर कर दिया।

 

वह स्टॉक मार्केट की डीलिंग और अपनी सफलता लेकर काफी सवालों के घेरे में भी रहे मगर धैर्य ने उनकी सफलता में चार चांद लगाए और उनकी मृत्यु के बाद आज उनके बेटो में कंपनी का बंटवारा हो गया है। लेकिन आज भी रिलांयस भारत की बड़ी कंपनियों में गिनी जाती है।

 

रतन टाटा- रतन टाटा को 1991 में टाटा का चेयरमैन बनाया गया। अपने विचारों की वजह रतन टाटा की कंपनी में टॉप के लोगों से कभी नहीं बनी। और यह मैनेजमेंट के स्तर पर भी कंपनी में साफ नजर आने लगा था।

 

चेयरमैन बनने के बाद उनके अंडर में दो कंपनियों का दिवालिया हो गया था। रिटायरमेंट की उम्र 70 से 65 करने के बाद रतन टाटा से कर्मचारी भी नाराज हो गए थे। सारे विरोधों के बावजूद उन्होंने टाटा नैनो जैसी सस्ती कार बनाई। आज टाटा ने दुनियाभर में अपनी पहचना एक सफल चेयरमैन के रूप बनाई है।

 

नरेंद्र मोदी- चाय बेचने से लेकर प्रधानमंत्री बनने का सफर तय किया है मोदी ने। बतौर मुख्यमंत्री 2002 दंगे के बाद उनकी देशभर में आलोचना हुई और वह विवादों में भी रहे। लेकिन आलोचना और विरोध उन्हें भारत जैसे विशाल देश का प्रधानमंत्री बनने से रोक पाए। जब उन्होंने गुजरात में केशुभाई पटेल की जगह मुख्यमंत्री का पद संभाला तो उनका पार्टी में भारी विरोध हुआ।

 

मोदी को प्रशासनिक अनुभव नहीं होने के कारण विरोध झेलना पड़ा। लेकिन सब कल की बात है उन्होंने मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अपनी राजीनीतिक क्षमता दिखाई और आज प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें एक बेहतरीन प्रशासक भी कहा जाता है।

 

शिव खेड़ा- मोटिवेशनल किताबों के लेखक शिव पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगा था। 'फ्रीडम इज नोट फ्री' किताब की लॉन्चिंग के बाद सिविल सर्वेंट अमरित लाल ने साहित्यिक चोरी का आरोप लगााया था। उन्हें इस मामले में कोर्ट में भी ले जाया गया मगर शिव खेड़ा ने संघर्श जारी रखा।

 

उन्होंने कहा,'मैंने काफी पढ़ने और लिखने तथा रिसर्च के बाद किताभ लिखा है।' कोर्ट से बाहर सेटलमेंट होने के जब उनकी किताब लॉन्च हुई तो यह मोटिवेशनल बुक सैलर्स बन गई।

 

ति ईरानी- स्मृति ईरानी की कहानी पूरी तरह विफलता से तो शुरू नहीं है। उन्हें अपना ड्रीम ब्रेक मेकडॉनल्ड में वेटरेसिंग के दौरान ही मिल गया था। और वह टीवी स्क्रीन पर तुलसी के नाम से हर घर में एक जाना पहचाना नाम बन गईं थीं।

 

क्योंकि सास भी कभी हुई थी उनको सफलता के नए मुकाम पर खड़ा कर दिया था। जब उन्हें टीवी स्क्रीन पर करियर में ज्याद सफलता मिलती नजह नहीं आई तो उन्होंने राजीनीति का रुख किया। आज वह भारत की एचआरडी मिनिस्टर हैं।

 

मंसूर अली खान पटौदी- क्रिकेट में अपनी फुर्ती के लिए हमेशा मशहूर रहे पटौदी ने एक रोड एक्सीडेंट में आंख की रोशन चले जाने के बाद भी अपनी फुर्ती में कमी नहीं आने दी और वह क्रिकेट खेलते रहे।

 

एक्सीडेंट के बाद किसी को उम्मीद नहीं थी कि नवाब पटौदी क्रिकेट में वापसी करेंगे। पर उन्होंने धमाकेदार वापसी की और सबको हैरानी में डाल दिया। वह आज भारत के महान क्रिकेट कप्तानों में गिने जाते हैं।

 

नवाजउद्दीन सिद्दीकी- यूपी में साधारण परिवार में जन्म लेने वाले नवाजउद्दीन ने काम की शुरुआत एक पेट्रो कैमिकल कंपनी से की थी। जिंदगी में कुछ रोचक की तलाश में वह दिल्ली आ गए और यहां उन्होंने काफी दिन तक चौकीदार की नौकरी की। दिल्ली में उन्होंने थिएटर भी किया और उसके बाद किस्मत आजमाने के लिए वह मुंबई चले गए।

 

हालांकि उन्होंने बहुत जल्दी काम नहीं मिला और मिला भी तो उनके बहुत छोटे-छोटे रोल थे। एक्टिंग वर्कशॉप करके उन्होंने कुछ पैसे कमाए जो उनके संघर्ष का ही हिस्सा है। पहली बार उनको 'पीपली लाइव' फिल्म में लोगों ने पहचाना और आज उनकी पहचान किसी चीज की मोहताज नहीं है।